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झिंझर कांड : एसीएस ने मुख्यमंत्री को सौपी जांच रिपोर्ट
ललित ज्वेल। उज्जैन/शहर में झिंझर कांड सामने आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जिस तेजी से एसीएस के साथ तीन सदस्यी एसआईटी उज्जैन भेजी और जांच करवाई थी। प्राथमिक चर्चा के बाद मुख्यमंत्री ने एसपी, एएसपी, सीएसपी सहित थाने के अमले पर कार्रवाई के निर्देश दे दिए थे। सूत्रों के अनुसार एसीएस द्वारा अपनी जांच टीम की संयुक्त रिपोर्ट मुख्यमंत्री को प्रस्तुत करने के बाद मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तय कर रहे हैं कि उज्जैन जिले और संभाग स्तर तक के अधिकारियों में से किस-किसको बदला जाए?
एसीएस डॉ. राजेश राजोरा ने जो रिपोर्ट सौपी है, उसमें चौकाने वाले तथ्य शामिल है।
इस टीम के द्वारा सर्किट हाउस पर एक घंटे तक साक्ष्य को लेकर नागरिक क्षेत्रों से जो जानकारियां मांगी थी, उसके अलावा भी उनके पास अनेक तथ्य पहुंचे थे। जो बताते हैं कि लापरवाहियों की कड़ी हर तरफ जुड़ रही है। इधर इस पूरे मामले में जिले के कुछ जनप्रतिनिधि और संगठन से जुड़े नेता आदि भी सक्रिय हो गए हैं। एक ओर जहां एसीएस की रिपोर्ट व्यवस्था की खामियां उजागर कर रही है वहीं दूसरी ओर जनप्रतिनिधियों एवं संगठन से जुड़े लोगों की पूरी टीम मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्ष को इस बात के लिए तैयार कर रही है कि जब पिच तैयार है तो पूरा ओवर खेलो….एक दो बाउंसर से काम नहीं चलेगा। इसी बात को लेकर समझा जाता है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान एवं प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा के बीच गुफ्तगु हो चुकी है।
इसके परिणाम शीघ्र ही सामने आने वाले हैं। राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि इस समय शिवराजसिंह चौहान ब्यूरोक्रेट्स की बजाए कार्यकर्ता को प्रसन्न करना चाहते हैं। वे अभी कोई रिस्क नहीं लेना चाहते। भोपाल के सूत्रों का कहना है कि जो नाम उज्जैन से गए हैं और जिन बातों का एसीएस ने अपने प्रतिवेदन में जिक्र किया है, उस अनुसार संभाग- उज्जैन स्तर के आईएएस-आईपीएस के अलावा खाराकुआं/महाकाल थाने का पूरा स्टॉफ और नगर निगम के कुछ अधिकारियों पर गाज गिर सकती है। ऐसा होने पर भाजपा का सोच है कि प्रदेश में हो रहे उप चुनावों में कांग्रेस के हाथ से मुद्दा जाता रहेगा। वरना मतदाताओं पर विपरित असर गिरेगा। ज्ञात रहे कांग्रेस पूरे प्रदेश में इस मामले में प्रदेश के गृह मंत्री से इस्तीफे की मांग को लेकर धरना आंदोलन करने जा रही है।
सीएसपी रजनीश कश्यप को लेकर असमंजस
झिंझर कांड में सीएसपी रजनीश कश्यप का निलंबन हो चुका है। उनके निलंबन के बाद जब भोपाल में आला अफसरों ने मामला खंगाला तो चौंके और एक वरिष्ठ आईपीएस के मुंह से निकल गया- अरे, यह तो गलत हो गया। हालांकि अब गलती को सुधारने में वक्त लगेगा, यह बात सभी जानते हैं, लेकिन समझा जाता है कि कश्यप के मामले में सरकार लचीला रूख अपनाएगी? अंदरखाने की खबर है कि जब एसीएस डॉ. राजेश राजोरा, एडीजी संजयकुमार झा ने खाराकुआं थाने का निरीक्षण किया तथा जांच की, तब किसी ने यह नहीं बताया कि इसी भवन के प्रथम तल पर सीएसपी का कार्यालय है। इधर जब सर्किट हाउस पर आम नागरिकों के बीच से साक्ष्य मांगे गए तो एक सज्जन साक्ष्य देने गए। सूत्रों का दावा है कि संबंधित ने यह कहा कि साहब, सीएसपी का कार्यालय थाना भवन में थाने के उपर प्रथम तल पर ही है। इस पर सभी चौंके। डॉ. राजोरा एवं संजय झा ने कहा कि हमे तो किसी ने बताया ही नहीं। प्रथम तल पर थाना घुमा दिया गया। इस पर वे नाराज हुए और गाज गिर गई रजनीश कश्यप पर।
अस्थायी नियुक्तियों में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग में सबसे अधिक गड़बड़…!
निगमायुक्त सिंघल के निर्देश के बाद भी नहीं पहुंची अस्थायी कर्मचारियों की जानकारी, सीएसपी को सौपी शेष विभागों की सूची
उज्जैन। झिंझर कांड में निगम के स्थायी और अस्थायी कर्मचारियों के नाम सामने आने के बाद निगमायुक्त क्षितिज सिंघल ने शनिवार को एक आदेश जारी किया था। जिसमें कहा था कि रविवार को सभी विभाग प्रमुख अपने-अपने विभागों में कार्यरत समस्त अस्थायी कर्मचारियों की जानकारी दें। ताकि इनका पुलिस वेरीफिकेशन करवाया जा सके। ज्ञात रहे भोपाल तक यह शिकायत पहुंची थी कि कुछ कर्मचारी ऐसे हैं, जिनका पुलिस रिकॉर्ड है और वे काम कर रहे हैं।
रविवार को सभी विभागों ने अपने यहां पदस्थ अस्थायी कर्मचारियों की सूची निगम के स्थापना विभाग के प्रभारी मनोज पाठक को सौपी थी। लेकिन इस सूची में निगम के स्वास्थ्य विभाग की सूची नदारत थी। इस पर क्षितिज सिंघल ने उपायुक्ख्त संजेश गुप्ता के प्रति नाराजगी भी व्यक्त की। साथ ही जल्द से जल्द सूची भेजने को कहा। इधर सोमवार को स्वास्थ्य विभाग को छोड़कर शेष विभागों में पदस्थ करीब 425 अस्थायी कर्मचारियों की सूची सर्कल सीएसपी को सौप दी गई। वहां से संबंधित थानों में सूची पुलिस वेरीफिकेशन के लिए जाएगी।
अधिकारी ने अक्षरविश्व से पूछा: कहां पहुंचवा दूं सूची
इस संबंध में चर्चा करने पर उपायुक्त संजेश गुप्ता ने कहा कि सूची तो बना ली है, कहां पहुंचाना है, पता नहीं? आप ही बता दो। जब उनसे कहा गया कि मैं तो अक्षरविश्व से बोल रहा हूं, आपसे निगमायुक्त ने मांगी थी स्थापना विभाग में देने के लिए। इस पर वे बोले- ठीक है, अभी स्थापना में पहुंचवा देता हूं।